वैसे तो झूठ जीवन का आधार है पर यह झूठ जीवन का विनाश भी करती है । बिना झूठ के जीवन भी नहीं चलता है । ऋषिओ ने कहा है कि जीवन मे झूठ न बोलो यह झूठ शरीर को दीमक की तरह खा जाती है और हमे पता ही नहीं चलता है ।
आखिर झूठ बोलना पाप क्यो है ?
पाप हमेशा दो तरीके से पैदा होता है । एक तो हम जब किसी की हाय या बददुआ लेते है तो पाप उत्पन्न होता है । उस हाय और बददुआ का नेगटिव प्रभाव आत्मा पर पड़ता है । इसलिए जब जब भी आत्मा पर नेगटिव ऊर्जा का प्रभाव पड़ेगा तो आत्मा उसको पाप मे बदल देती है ।
दूसरा पाप जब उत्पन्न होता है जब आप अपने शरीर मे आत्मा के विरुद्ध नकारात्मक काम करते हो तो आत्मा पाप उत्पन्न करती है । अगर आप झूठ बोलते हो , विषाक्त भोजन करते हो , नशा करते हो , मांस खाते हो , हत्या करते हो तो पाप उत्पन्न होता है ।
झूठे आदमी के चेहरे मे चमक क्यो नहीं होती है ?
जब आप झूठ बोलते हो तो मन और आत्मा का संघर्ष होता है । इस संघर्ष मे नेगेटिव ऊर्जा उत्पन्न होती है । जिसे हम विष कहते है । जब बार बार झूठ बोलोगे तो बार बार विष पैदा होगा और यह विष शरीर मे जहर फैला देता है । जिसके कारण मनुष्य का शरीर कमजोर होता चला जाता है । तथा शरीर मे गेस और अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है । जिसके कारण झूठे आदमी के चेहरे का ग्लो और चमक खत्म हो जाती है ।
इसलिए अष्टांग योग मे जाने के लिए यम और नियम जरूरी है । झूठा आदमी योगी नहीं बन सकता है । क्यो नहीं बन सकता है इसकी व्याख्या अगली पोस्ट मे करूंगा ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( कुंडली एवं वास्तु विशेष्ाज्ञ )