भगवान ने स्वयं ही गीता मे कहा है । मनुष्यानां सहस्त्रेषु कश्चिधतती सिद्धए । यततामपि सिध्यानाम कश्चिन्मां वेत्ति तत्वत :। ।

हे अर्जुन हजारों मनुष्यों मे से कोई एक ही मनुष्य मुझे प्राप्त करने की सिद्धि के लिए
प्रयत्न करता है । और उन हजारो सिद्धि का प्रयत्न करने वालों मे से कोई एक सिद्ध पुरुष ही मुझे प्राप्त करता है या मुझे देख सकता है या मुझे जान सकता है या मेरे यथार्थ रूप को जान सकता है ।
अब कितना कठिन है भगवान के दर्शन करना । और टीवी पर रोजाना ही लोग आँख बंद के भगवान से बात करते है । और बोलते है थोड़ा सा यत्न करो भगवान मिल जाएँगे । भगवान की क्रपा हो जाएगी । कितना पाखंड का क्या घोर कलयुग आ गया है ।
पंडित यतेन्द्र शर्मा ( ऐ 1 श्री बालाजी हनुमान मंदिर रामा विहार डेल्ही 81 )