झूठ की वैसाखी पर टिका है यह संसार यथार्त और कटु सत्य

बचपन से शिक्षा दी जाती है कि सच बोलना चाहिए . सच बोलना बहुत अच्छा है . बाकई सच बोलना एक तपस्या है एक त्याग है . अगर सच बोलते हो तो आपका मनोवल बढ़ता है . सच बोलने से मनुष्य जितेन्द्रिय हो जाता है . सच बोलने से आत्मविश्वास बढ़ता है . सच बोलना अष्टांग योग का पहला नियम है . और हमें रटाया गया है कि
सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
जाके ह्रदय आप है बाके ह्रदय ताप
लेकिन ज्योतिष विज्ञानं कहता है कि 9 ग्रह में से ५ ग्रह पापी और क्रूर है तथा २ ग्रह बुध और चन्द्रमा आधे समय असुभ हो जाते है . इस प्रकार 9 में से ७ ग्रहों का असुभ प्रभाव पूरी मानव प्रजाति पर रहता है . इसका मतलब यह हुआ ७७/ लोग पाप और झूठ का सहारा लेते है .
अगर झूठ न होता तो इस संसार का जीवन चक्र न चलता .. इस संसार में सभी झूठे है . चाहे संत हो या सन्यासी , पंडित हो या ज्योतिषी , कथाकार हो या व्यापारी , जनता हो नेता . पिता पुत्र से झूठ बोलता है और पुत्र पिता से झूठ बोलता है , कथाकार भक्तो से झूठ बोलता है , ज्योतिषी अपने यजमान से ,दुकानदार ग्राहक से , और वकील और दलाल तो सुबह से शाम तक झूठ बोलता है तब जाकर अपने परिवार का पेट भरता है , .पति पत्नी से झूठ बोलता है और पत्नी पति से झूठ बोलती है . अगर पति और पत्नी आपस में झूठ न बोले तो एक दिन में ही तलाक हो जाएगा , सुबह से शाम तक फेस बुक पर लोग झूठ के प्रपंच की चैट कर रहे होते है , अगर पत्नी पूछ बैठे तो बोलते कि काम की बात कर रहा हूँ . अगर पति पूछ बैठे तो पत्नी बोलती है मेरी सहेली है उससे बात कर रही हूँ . दोनों एक दुसरे को सच बता दे तो सम्बन्ध टूट जाएगा तलाक हो जाएगा दोस्ती टूट जायेगी . अगर कोई ज्ञानी या सन्यासी अपने भक्तो को अपने झूठ के पाखंड को बता दे तो भक्त उसको मार देंगे .. . झूठ और छल से महाभारत का युद्ध जीता गया . झूठ से बाली वध हुआ था . सच का रास्ता योग और मोक्ष को जाता है और झूठ का रास्ता संसार को बिलास्ता से जीने के लिए उत्तम साधन है . बिलासी जीवन जीने के लिए झूठ परम आवश्यक है . यह प्रभु का बड़ा विचित्र संसार है यह झूठ पर आधारित संसार है अगर झूठ न होती तो यह संसार और सम्बन्ध न चलते
पंडित यतेन्द्र शर्मा ( ऐ 1 श्री बालाजी हनुमान मंदिर रामा विहार डेल्ही 81 )