इतना आसान नहीं है मोक्ष को प्राप्त करना ।

हर मनुष्य चाहता है कि उसको मोक्ष मिल जाये । आखिर मोक्ष है क्या ? मोक्ष की धारणा हमारे ऋषियों ने योग समाधि से दो प्रकार की बताई है । पहला मनुष्य का 84 लाख योनियो के बंधन से मुक्त होना या मनुष्य योनि के स्थूल रूपी शरीर से मुक्त होना तथा दूसरा मनुष्य की आत्मा का परम ब्रह्मा मे लीन हो जाना और प्रलय काल के बाद पुनः जन्म लेना ।

आत्मा के तीन प्रकार के शरीर

हमारी आत्मा के तीन प्रकार के शरीर होते है 1- स्थूल शरीर 2- सूक्ष्म शरीर 3- कारण शरीर । जब तक यह आत्मा स्थूल शरीर मे रहती है तब तक आत्मा मन और प्रकृति के साथ संस्कारो से बंधा होता है तथा हम इस संसार के कार्यो मे बंधे रहते है । आत्मा के 136 लोक है स्थूल जगत के 40 लोक , सूक्ष्म जगत के 60 लोक और कारण शरीर के 36 लोक है ।

आत्मा जब तक स्थूल शरीर मे रहती है तब तक आत्मा को 40 जगतों या लोको मे भ्रमण करना पड़ता है । उसके बाद सूक्ष्म शरीर के 60 लोको मे और कारण शरीर के 36 लोको मे भ्रमण करना पड़ता है । आत्मा को 136 लोको मे भ्रमण करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

हमारा स्थूल रूपी शरीर 24 तत्वो 5 ज्ञानेद्रि , 5 कर्मेन्द्रि , 5 प्राण , 5 महाभूत, मन , बुद्धि, चित और अहंकार से मिलकर बनता है । सूक्ष्म शरीर मे 17 तत्वो 5 ज्ञानेद्रि इंद्री 5 प्राण 5 महाभूत , मन और बुद्धि से मिलकर बनता है । इसके बाद कारण शरीर दो तत्वो ज्ञान और प्रयत्न से मिलकर बनता । जब आत्मा कारण शरीर मे पहुच जाती है तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है ।

इस मोक्ष और ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने के लिए आपको स्थूल रूपी शरीर का सोधन करना चाहिए । योग का अभ्यास करना चाहिए और अपने भोजन और देनिक दिन चर्या को ठीक रखना चाहिए । जब आप इस रास्ते पर चलोगे तो धीरे धीरे इस योग विज्ञान को समझ जाओगे ।

पं. यतेन्द्र शर्मा ( सनातन धर्म प्रचारक एवं वैदिक दार्शनिक )

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