श्रष्टि के आरंभ मे ज्ञान कहाँ से आया था ?
क्या है वैज्ञानिक कारण ?
यह प्रश्न सोचने पर मजबूर करता है कि श्रष्टि के आरंभ मे ज्ञान कहाँ से आया था ? और कहाँ संचित रहता है ? ज्ञान और आत्मा का गहरा संबन्ध है । जब प्रलय काल आता है तब कुछ महान लोगो की आत्मा ऐसे होती है जिनको मोक्ष प्राप्त नहीं होता है । तथा उनके उच्च कर्म होते है । वे आत्मा अपने पूर्व जन्म के कर्मो के आधार पर पुन श्रष्टि के आरंभ मे जन्म लेते है । तथा जो ज्ञान अन्तःकरण मे संचित होता है वही ज्ञान पुन जाग्रत हो जाता है ।
इसको आप एक वैज्ञानिक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हो । जैसे बिजली के तारों मे बिजली दोड़ रही होती है और उसमे बहुत ऊर्जा होती है , उस ऊर्जा से नाना प्रकार के उपकरणो के माध्यम से ज्ञान की बाते होती रहती है । अगर बिजली चली जाये तो उपकरण बंद होने के कारण ज्ञान बंद हो जाता है । और फिर बिजली आ जाये तो पुन ज्ञान की बाते चालू हो जाती है ।
इसी प्रकार आत्मा नाम की बिजली ही हमारे शरीर रूपी उपकरण को चलाती है । जब आत्मा शरीर से चली जाती है तो शरीर तो नष्ट हो जाता है पर ज्ञान नष्ट नहीं होता है । फिर ज्ञान आत्मा रूपी बिजली की पुन आने की प्रतीक्षा करता है । जब आत्मा पुन आ जाती है तो ज्ञान भी आ जाता है । इसलिए ज्ञान और आत्मा का गहरा संबंध है । ज्ञान आत्मा मे वास करता है और आत्मा शरीर मे वास करती है । जब शरीर नष्ट हो जाता है तो आत्मा परमात्मा की प्रक्रति मे वास करती है ।
इसलिए शरीर की उत्पत्ति के साथ ज्ञान की उत्पत्ति हो जाती है । इसलिए शास्त्रो मे कहा गया है कि ज्ञान ही जन्म जन्म का साथी है ।
पं यतेन्द्र शर्मा ( ज्योतिषविद् एवं आध्यात्मिक चिंतक )
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