विष्णु पुराण

भूगोल , ग्रह , नक्षत्र और ज्योतिष का पुराण यह पुराण ऋषि पाराशर के द्वारा लिखित पुराण है । यह पुराण दार्शनिक द्रष्टि से तथा वैष्णव धर्म के महत्व के अनुसार श्रीमद भागवत के बाद दूसरे स्थान पर आता है । श्री मद भागवत के आकार का तीसरा अंश है । इस पुराण मे 6 अंश है इसमे खंड नहीं है तथा 126 अध्याय है । विष्णु पुराण के पहले अंश मे श्रष्टि की उत्पत्ति का वर्णन है तथा बालक ध्रवु , राजा प्रथु और भक्त प्रह्लाद की कथाओ का वर्णन है । विष्णु पुराण के दूसरे अंश मे भूगोल का बहुत ही आकर्षक वर्णन है इसके अलावा प्रथवि के नो खंड , विभिन्न लोको के स्वरूप और ग्रह नक्षत्र और ज्योतिष का वर्णन है । विष्णु पुराण के तीसरे अंश मे चारो आश्रमो ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ , वानप्रथ और सन्यास की जानकारी तथा उनका उपयोग और महत्व , वेदों के … [ Read More ]

पदम पुराण ज्ञान का भंडार

पिछली पोस्ट मे हमने लिखा था कि पदम पुराण के 5 खंड होते है । जिसमे आपको 2 खंडों सृष्टि खंड और भूमि खंड की जानकारी दी थी । आज आपको 3 खंडों की जानकारी देंगे । 3- स्वर्ग खंड – इस खंड मे देवता , गंधर्व , अप्सरा और यक्ष आदि के लोको की जानकारी दी गयी है । इस खंड मे राजा दिबोदास , राजा हरीशचंद और मानधता आदि राजाओ का विवरण है । सूत जी द्वारा भारत वर्ष के 7 पर्वत , 122 नदी , उत्तर भारत के पुराने 135 जिले तथा दक्षिण भारत के प्रमुख 51 जिले का वर्णन है । इसके अलावा मलेच्छ राजाओ का तथा 20 महान राजाओ का वर्णन है । इसके अलावा नारद जी ने गंगा , यमुना , सरस्वती और नर्मदा नदियों की महिमा का वर्णन किया है । इसके अलावा अमरकंटक तीर्थ और ब्रह्मचर्य तथा ग्रहस्थ आश्रम का भी वर्णन … [ Read More ]

क्या है पदम पुराण मे ? ज्ञान का भंडार है ये पुराण

स्कन्द पुराण को छोडकर पदम पुराण सभी पुराणों मे बड़ा है । पदम पुराण मे 50000 श्लोक है तथा 282 अध्याय है तथा मुख्त : 5 खंडो मे प्रकाशित है । 1- सृष्टि खंड 2- भूमि खंड 3- स्वर्ग खंड 4- पाताल खंड और 5- उत्तर खंड 1-सृष्टि खंड – यह खंड भी 5 पर्वो मे बिभाजित है 1- पोषकर पर्व – इस पर्व मे देवता, मुनि ,पितर ,मनुष्य की 9 प्रकार की योनियो का वर्णन है । 2- तीर्थ पर्व – इस पर्व मे पर्वत , द्वीप , सप्तसागर का वर्णन है । 3- तीसरे पर्व मे दक्षिणा देने वाले राजाओ का वर्णन है । 4- चोथे पर्व मे राजाओं के वंश का वर्णन है तथा 5- पांचवा पर्व मोक्ष का पर्व है इस पर्व मे मोक्ष मे जाने के साधन का वर्णन है । इसके अलावा समुद्र मंथन , वामन अवतार , मार्कन्डेय की उत्पत्ति , कार्तिकेय की … [ Read More ]

क्या है पुराणो का सार ?

पुराणो को तीन प्रकार से बर्गीकृत किया गया है । यह बर्गीकारण इनमे लिखे ज्ञान के आधार पर किया गया है । 1- सतोगुणी पुराण 2- रजोगुणी पुराण 3- तमोगुणी पुराण 1-सतोगुणी पुराणो मे 6 पुराण आते है विष्णु पुराण , नारद पुराण , भागवत पुराण , गरुण पुराण , पदम पुराण और वराह पुराण आते है । इन पुराणो मे सतोगुण प्रधानता है । 2-रजोगुणी पुराण मे भी 6 पुराण आते है । ब्रहमाण पुराण , ब्रह्मा वैवर्त पुराण , मार्कण्डे पुराण , भविष्य पुराण , वामन और ब्रह्म पुराण आते है । ये पुराण रजोगुण प्रधान है । 3- तमोगुण पुराणो मे भी 6 पुराण आते है । मत्स्य पुराण , कूर्म पुराण , लिंग पुराण , सकन्द पुराण और अग्नि पुराण आते है । इस पुराणो मे तामस वृति है । अगली पोस्ट मे संक्षेप मे लिखूंगा कि इन पुराणो मे क्या क्या है । पंडित यतेन्द्र … [ Read More ]

शरीर मे पाँच उपप्राणो के कार्य –

1- नाग उपप्राण – नाग उपप्राण प्राण का उप है । जब मनुष्य को क्रोध आता है तब यह प्राण क्रोध से उत्पन्न विष को उगल देता है । तथा शरीर मे मोजूद अमृत को भस्म कर देता है । शरीर मे क्रोध नाग प्राण के कारण उत्पन्न होता है । 2-देवदत्त उपप्राण – यह प्राण व्यान प्राण का उप प्राण है । इस उपप्राण का संबंध लोक लोकांतरों से होता है । जब मनुष्य समाधि मे जाता है तो देवदत्त प्राण ही विभिन्न लोको से संबंध स्थापित करता है । इसका संबंध ज्ञान की धाराओं से होता है । 3- धनंजय उपप्राण – इस उपप्राण का संबंध उदान प्राण से होता है । उदर मे होने वाली क्रियाओं का संपर्क धन्जय उपप्राण से होता है । स्वस्थ रहने के लिए धन्जय मजबूत रहना चाहिए । 4- कूर्म उपप्राण – इस उपप्राण का संबंध अपान प्राण से होता है । … [ Read More ]

अथर्ववेद का सार

अथर्ववेद चारो वेदों मे दूसरा सबसे बड़ा वेद है । इस वेद मे 20 कांड 771 सूक्त और 5977 मंत्र है । इस वेद को प्राचीन काल मे वेद नहीं माना गया था क्योकि इस वेद मे कुछ मंत्र टोने , टोटके ,जादू , इंद्रजाल , भूत प्रेत , नरक मे मरने के बाद शारीरिक यंत्रना देने का समावेश , किसी का अहित करने के लिए सीधा आक्रमण न करके जादू टोने के प्रभाव से हानी पहुंचाना , किसी के विनाश के लिए शाप फरक मंत्रो का प्रयोग , साँपो के मंत्र और भिन्न भिन्न रोगो के लिए झाड फूँक के मंत्रों का प्रयोग इस वेद मे है । इसी कारण पहले वैज्ञानिक ऋषियों ने इसे वेद न मानकर अंधविश्वास माना था । लेकिन बाद इन मंत्रो पर शोध किया था तथा इनके प्रभाव को सच पाया गया तो अथर्ववेद को वेद की मान्यता मिली थी । अथर्ववेद मे सभी … [ Read More ]

सामवेद का सार

चार वेदो मे सबसे छोटा सामवेद है इसके दो वर्ग है एक है पूर्वाचिक वर्ग और दूसरा है उत्तराचिक वर्ग । पूर्वाचिक वर्ग मे 650 मंत्र और उत्तराचिक वर्ग मे 1225 मंत्र है , इस प्रकार 1275 टोटल मंत्र सामवेद मे है । सामवेद मे जायदातर मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए है । सामवेद मे भक्ति और उपासना की जानकारी दी गयी है । ओषधि और स्वास्थ के बारे तथा प्राकृतिक चिकित्सा के बारे मे जानकारी दी गयी है । इसके अलावा अग्नि पूजा , इन्द्र पूजा,राजकुल की परंपरा , राजा और सेना के कर्तव्य तथा जागरूक पुरुष की जानकारी दी गयी है । चारों वेद विश्व इतिहास के सबसे पुराने ग्रंथ है । पश्चिमी विद्वानो ने भी चारो वेदो को विश्व के सबसे पुराने ज्ञान के भंडार की धरोहर माना है । पंडित यतेन्द्र शर्मा, कुंडली एवं वास्तु विशेष्ाज्ञ ( ऐ1 श्री बालाजी हनुमान मंदिर रामा विहार डेल्ही81 … [ Read More ]

यजुर्वेद का सार

वेदों मे सबसे वडा ऋग्वेद है । यजुर्वेद तीसरे स्थान पर आता है । यजुर्वेद की 101 शाखाओं के 2 मुख्य बर्ग है एक है शुक्ल पक्ष और दूसरा है कृष्ण पक्ष । शुक्ल पक्ष की 15 शाखाये है । यजुर्वेद मे 40 अध्याय और 1975 मंत्र है । यजुरवेद को कर्मकांड का मुख्य वेद माना गया है । यजुर्वेद मे 39 अध्याय मे पूजा के मंत्र , और यज्ञ करने के मंत्र है । अमावश्या के यज्ञ का विधान , पुर्णिमा के यज्ञ का विधान , नित्य किए जाने वाले यज्ञ का विधान , राजसूय यज्ञ , अश्वमेघ यज्ञ तथा छोटे बड़े यज्ञों का विवरण है । इसके अलावा 4 पुरुषार्थ की जानकारी भी हमे यजुर्वेद से मिलती है । चार पुरुषार्थ जीवन को कैसे सफल बनाते है । चार पुरुषार्थ पूर्ण करने वाला मनुष्य कैसे अपने जीवन को सफल बनाता है । चार पुरुषार्थ धर्म ,अर्थ , काम … [ Read More ]

ऋग्वेद का सार

सनातन धर्म के 4 वेद ज्ञान के स्तंब है । आज आपको संक्षेप मे बताएँगे ऋग्वेद के बारे मे कि ऋग्वेद मे क्या क्या है । वेदों को पढ्ना आसान नहीं है । लेकिन उनका सार संक्षेप मे लिख रहा हूँ । ऋग्वेद मे 10 मण्डल 1028 सूक्त और 10521 मंत्र है । ऋग्वेद प्रकृति के पाँच महाभूत के सिधान्त पर आधारित है । ऋग्वेद की शुरुआत अग्नि पूजा के मंत्रो के साथ होती है । ऋग्वेद मे प्राकृतिक देवताओं को मान्यता दी गयी है । ऋग्वेद मे अग्नि देवता , इन्द्र देवता , वायु देवता , वरुण देवता , सविता देवता , उषा देवता , सूर्य देवता , विश्वे देवा देवता , अदिति देवता , चंद्र देवता , रुद्र देवता , पूषा देवता , आपो देवता , पर्जन्य देवता , विश्वकर्माँ देवता , सरस्वती देवता , ब्रहस्पति देवता और यम देवता का मंत्रो सहित पूरा विवरण ऋग्वेद मे है … [ Read More ]

साधू ऐसा चाहिये जैसे सूप सुहाय सार सार को गह रहे थोता दे उडाय आखिर साधू सन्यासी कैसा होना चाहिए ?

साधू का स्वाभाव सूप जैसा होना चाहिए . जिस प्रकार सूप अनाज में से थोते अनाज को उदा देता है तथा अच्छे अनाज को रख लेता है . उसी प्रकार साधू में बुराई को उड़ा देने की क्षमता होने चाहिए . साधू क्रोधी नहीं होना चाहिए , साधू को तामसिक नहीं होना चाहिए , साधू की भाषा मर्यादित होनी चाहिए , साधू का भोजन सात्विक होना चाहिए , साधू हिंसक नहीं होना चाहिए , साधू को जितेन्द्र होना चाहिए , साधू को ५ प्राण ५ उपप्राण ५ इंद्री ५ कर्मेन्द्रि ,मन और आत्मा के समन्वय का ज्ञान होना चाहिए . साधू को मन और आत्मा का योग आना चाहिए . वही साधू है . और जो साधू आधुनिक सुख सुविधाओ से सुसज्जित हो वो तो साधू हो ही नहीं हो सकता है वो तो साधू के परिवेश में एक गृहस्थी का रूप है . साधू का गहना तो उसका ज्ञान … [ Read More ]