ध्यान विषय पर छोटे से लेकर बड़े संत, महात्मा और ज्ञानी एक ही बात बोलते रहते हे कि ध्यान करो ध्यान करो सिर्फ ध्यान करो सब ठीक हो जाएगा । और भगवान मिल जाएँगे आपको मोक्ष मिल जाएगा । यह सत्य नहीं है मित्रो । ध्यान और लक्ष्य का बहुत गहरा संबंध है । लक्ष्य के बिना ध्यान आगे नहीं बढ़ सकता है । अगर बिना लक्ष्य के ध्यान मे जाओगे तो शून्य अवस्था मे चले जाओगे । और शून्य अवस्था मे जाना तो एक प्रकार से नीद मे जाना होता है । ध्यान से पहले आपको अपने कर्म की चेतना को निश्चित करना होता है । आपको ध्यान करते समय यह तय करना है कि ध्यान मे विचार शून्य न हो जाये तथा जो आप खोज करना चाहते है उसी दिशा मे आपका ध्यान रहे । इसलिए प्रज्ञा बुद्धि , मन और व्यान प्राण को साथ लेकर सही दिशा … [ Read More ]
वेबदैनिकी
भगवान ने स्वयं ही गीता मे कहा है । मनुष्यानां सहस्त्रेषु कश्चिधतती सिद्धए । यततामपि सिध्यानाम कश्चिन्मां वेत्ति तत्वत :। ।
हे अर्जुन हजारों मनुष्यों मे से कोई एक ही मनुष्य मुझे प्राप्त करने की सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है । और उन हजारो सिद्धि का प्रयत्न करने वालों मे से कोई एक सिद्ध पुरुष ही मुझे प्राप्त करता है या मुझे देख सकता है या मुझे जान सकता है या मेरे यथार्थ रूप को जान सकता है । अब कितना कठिन है भगवान के दर्शन करना । और टीवी पर रोजाना ही लोग आँख बंद के भगवान से बात करते है । और बोलते है थोड़ा सा यत्न करो भगवान मिल जाएँगे । भगवान की क्रपा हो जाएगी । कितना पाखंड का क्या घोर कलयुग आ गया है । पंडित यतेन्द्र शर्मा ( ऐ 1 श्री बालाजी हनुमान मंदिर रामा विहार डेल्ही 81 )
ये तपस्या क्या है ? त्रिकालदर्शी कैसे बने ?
पुराने जमाने मे ऋषि मुनि तपस्या किया करते थे आखिर वो तपस्या क्या है ? तपस्या 2 प्रकार की होती है । 1- योगिक तपस्या 2- मंत्र तपस्या योगिक तपस्या से ऋषि पहले शरीर के बारे मे जानता है । फिर शरीर के अंदर मोजूद 5 इंद्रियों , 5 प्राणो , 5 महाभूत , मन और बुद्धि को पहचानता है और फिर इनको अष्टांग योग से तपाता है । जब शरीर तप जाता है तो मन बुद्धि के उपर सवार होकर लोक लोकांतर की यात्रा करता है तथा प्रभु के इस विज्ञान को जानने की कोशिस करता है । तथा मनुष्य त्रिकालदर्शी हो जाता है । इस तपस्या मे बहुत समय की आवस्यक्ता होती है तथा शरीर को बहुत कष्ट सहना पड़ता है । मंत्र तपस्या – इस तपस्या मे मनुष्य किसी भी ग्रह या देवता के मंत्र का जाप शुरू करता है तथा मंत्र का जाप त्रिनेत्र से प्रारम्भ … [ Read More ]
ये मोक्ष क्या है? मिलेगा या नहीं, मरने के बाद कहाँ जाती है आत्मा, क्या है वैज्ञानिक आधार ?
बहुत ही विचित्र बात है कि मनुष्य मरने के बाद की गति को जानना चाहता है । मोक्ष मिलेगा या नहीं । मोक्ष क्या होता है ? मरने के बाद कहाँ जाएँगे और अगला जीवन कैसा होगा ? मरने बाद स्थूल शरीर की 5 कर्मेन्द्रिओं को त्याग कर आत्मा 5 ज्ञानेन्द्रिओं 5 प्राण 5 महाभूत मन और बुद्धि 17 चीजों को साथ लेकर जब प्रथ्वी लोक को छोड़ कर आत्मलोक मे चली जाती है । और पुनर्जन्म नहीं लेती है तो उसी को मोक्ष कहते है । जैसे हमारा शरीर तीन प्रकार का होता है उसी प्रकार आत्मा भी 3 प्रकार की होती है 1-सतोगुणी 2- रजोगुणी 3- तमोगुणों । जो मनुष्य मांसाहारी, नशेड़ी शरावी होते है उनकी आत्मा को मरने बाद कभी मोक्ष नहीं मिलता है । ऐसे लोग इस प्रथ्वी लोक पर साँप, बिच्छू, कीड़े, मकोड़े, भेडिए, लक्कड्भग्गा, गिद्ध या गीदड़ का जन्म लेते है । ऐसे लोगों … [ Read More ]
जीवन क्या है ? कहाँ से आता है ? और कहाँ जाता है ?
जीवन का रहश्य जानना और समझना बहुत कठिन है। अगर आप मेरे शब्दों की गति के साथ साथ धीरे धीरे अपने मन की गति को रखोगे तो जीवन का रहश्य समझ मे आ जाएगा । भगवान ने इस श्रष्टि को 4 प्रकार की योनियों से बनाया है 1-स्थावर 2- अंडज 3- उद्विज 4-जंगम । स्थावर योनि मे पेड़ पोधे, पर्वत, जल तथा बनस्पति आते है । ये सभी गति तो करते है पर इनमे मन और आत्मा का बास नहीं होता है। इन योनियों मे सिर्फ सामान्य प्राण होता है जिसके कारण ये बड़े हो जाते है तथा गति करते है । तथा प्रथ्वी से अपना भोजन चूस कर अपना आकार बड़ा का लेते है । अंडज योनि मे वो सभी कीट पतंगे और रेगने वाले जीव आते है जो प्रथ्वी लोक मे अंडा के रूप मे पेदा होते है। उद्विज योनि मे वो सभी पक्षी आते है जो आकाश … [ Read More ]
दक्षिण मुखी घरो मे क्यो हो जाती है जल्दी म्रत्यु ? इसका वैज्ञानिक आधार क्या है ?
आजकल महावास्तु का पाखंड बहुत जोरों से शुरू हुआ है । दुखी लोग मूर्ख बनते है और उनको लूटा जाता है । इसलिए समय समय पर हम आपको वैज्ञानिक वास्तु की जानकारी देते रहेंगे । भारत की भोगोलिक संरचना के अनुसार दक्षिण दिशा से सूर्य के भ्रमण के कारण दक्षिण दिशा का तापक्रम बहुत जायदा होता है । अगर मकान का मुख दक्षिण की ओर है तो निश्चित तोर पर मकान मे दिन के समय मे गर्मी ज्यादा आएगी । मकान बहुत ज्यादा तपेगा मकान का तापक्रम दिन मे 45 डिग्री होगा और रात मे 20 डिग्री होगा । यह गर्मी का उतार चढ़ाव ही दक्षिण दिशा के मकानो मे जल्दी म्रत्यु का कारण बन जाता है । इसको आप एक विज्ञान के उदाहरण से समझ सकते हो । आप एक लोहे की 1 इंच मोती छड़ ले तथा उसको 8 घंटे रोजाना 45 डिग्री पर गरम करे तथा फिर … [ Read More ]
शरीर की त्वचा कैसे बनती है ? और त्वचा पर बालों का रहश्य क्या है ?
त्वचा हमारे शरीर के अंदर के सभी अंगो को ढकती है यह सत्य है पर इसके अलावा त्वचा का संबंध हमारे शरीर की 72,72,10 202 नस नाड़ियों के साथ साथ हमारे धुलोक के साथ भी होता है। हमारी त्वचा पर 5 तत्वो (प्रथ्वी,अग्नि,वायु,जल,अंतिरक्ष ) का प्रभाव पूर्ण रूप से होता है । त्वचा 5 तत्वो के मिश्रण से बनती है । जहां पर त्वचा बहुत कठोर होती है जैसे एढ़ी, कोहनी ,घुटने हिप्स और कंधे इन पर प्रथ्वी तत्व का प्रभाव होता है । शरीर मे जहां पर त्वचा नरम और बहुत संबेदनशील होती है । वहाँ पर वायु तत्व और अंतिरक्ष तत्व का प्रभाव होता है। तथा जहां पर त्वचा फैलती है और सिकुड़ती है वहाँ पर जल और अग्नि तत्व का प्रभाव होता है । नाक के अगले हिस्से का संबंध प्रथ्वी तत्व से होता है क्यो कि नाक प्रथ्वी के रसों, सुगंधों और पदार्थो को सूंघने का … [ Read More ]
जीवन क्या है ? कहाँ से आता है ? और कहाँ जाता है ?
जीवन का रहश्य जानना और समझना बहुत कठिन है। अगर आप मेरे शब्दों की गति के साथ साथ धीरे धीरे अपने मन की गति को रखोगे तो जीवन का रहश्य समझ मे आ जाएगा । भगवान ने इस श्रष्टि को 4 प्रकार की योनियों से बनाया है 1-स्थावर 2- अंडज 3- उद्विज 4-जंगम । स्थावर योनि मे पेड़ पोधे, पर्वत, जल तथा बनस्पति आते है । ये सभी गति तो करते है पर इनमे मन और आत्मा का बास नहीं होता है। इन योनियों मे सिर्फ सामान्य प्राण होता है जिसके कारण ये बड़े हो जाते है तथा गति करते है । तथा प्रथ्वी से अपना भोजन चूस कर अपना आकार बड़ा का लेते है । अंडज योनि मे वो सभी कीट पतंगे और रेगने वाले जीव आते है जो प्रथ्वी लोक मे अंडा के रूप मे पेदा होते है। उद्विज योनि मे वो सभी पक्षी आते है जो आकाश … [ Read More ]
बुरे कर्मो के आधार पर मनुष्य कैसे जाता है जानवर योनि मे ? क्या है इसका प्राकृतिक वायो वैज्ञानिक आधार ?
मनुष्य का जीवन बहुत दुर्लभ है । इस श्रष्टि मे सतोगुणी , रजोगुणी और तमोगुणी तीन प्रकार की आत्मा होती है और 4 प्रकार की योनियाँ 1- स्थावर 2- अंडज 3- उद्विज 4 – जंगम होती है । इसके अलावा 5 तत्व 1- प्रथ्वी 2- वायु 3- अग्नि 4- जल 5- अंतिरिक्ष होते है और 84 लाख योनियाँ होती है । इन सभी के मिश्रण से यह दुर्लभ मनुष्य जीवन बनता है । 84 लाख योनियों मे से लगभग 80 लाख योनियों को डिशकवरी चेनल ने खोज निकाला है । मानव शरीर मे 84 लाख योनियों के स्वभाव का मिश्रण होता है । मनुष्य का स्वभाव एक जैसा शेर जैसा भी हो सकता है और गधे घोड़े और मच्छर जैसा स्वभाव भी हो सकता है । इसके अलावा मनुष्य के शरीर मे स्थावर योनि के तत्व भी पाये जाते है । जैसे लोहा , पत्थर और भिन्न भिन्न प्रकार की … [ Read More ]
शरीर त्यागने के बाद आत्मा की गति क्या होती है ? आत्मा का आकार क्या है ?
आत्मा इस प्रकृति विज्ञान के परमाणु बाद की सबसे सूक्ष्म इकाई है । आत्मा का आकार एक बाल के गोल हिस्से के 60 भाग किए जाये । उसके बाद उसके एक भाग के 99 भाग किया जाये । उसके बाद उसके एक भाग के 60 भाग किये जाये तो एक भाग के बराबर आत्मा का सूक्ष्म आकार होता है । या हम यह कह सकते है कि आत्मा का आकार एक बाल के गोल हिस्से का 3 करोड़ 52 लाख 83 हजार 600 सो वां भाग होता है । शरीर त्यागने बाद आत्मा सबसे पहले अंतिरिक्ष मे जाता है । अन्तरिक्ष मे इंद्र नाम की वायु ( सोनतती वायु , किरणपती वायु , सोममाम वायु ) मे रमण करता है । उसके बाद यम नाम की वायु ( सुभय वायु , रेधी वायु , घिरन्तति ) मे रमण करता है । इन 6 प्रकार की वायु मे रमण करने के … [ Read More ]