आजकल महावास्तु का पाखंड बहुत जोरों से शुरू हुआ है । दुखी लोग मूर्ख बनते है और उनको लूटा जाता है । इसलिए समय समय पर हम आपको वैज्ञानिक वास्तु की जानकारी देते रहेंगे । भारत की भोगोलिक संरचना के अनुसार दक्षिण दिशा से सूर्य के भ्रमण के कारण दक्षिण दिशा का तापक्रम बहुत जायदा होता है । अगर मकान का मुख दक्षिण की ओर है तो निश्चित तोर पर मकान मे दिन के समय मे गर्मी ज्यादा आएगी । मकान बहुत ज्यादा तपेगा मकान का तापक्रम दिन मे 45 डिग्री होगा और रात मे 20 डिग्री होगा । यह गर्मी का उतार चढ़ाव ही दक्षिण दिशा के मकानो मे जल्दी म्रत्यु का कारण बन जाता है । इसको आप एक विज्ञान के उदाहरण से समझ सकते हो । आप एक लोहे की 1 इंच मोती छड़ ले तथा उसको 8 घंटे रोजाना 45 डिग्री पर गरम करे तथा फिर … [ Read More ]
Category: Pt. Yatender Sharma
शरीर की त्वचा कैसे बनती है ? और त्वचा पर बालों का रहश्य क्या है ?
त्वचा हमारे शरीर के अंदर के सभी अंगो को ढकती है यह सत्य है पर इसके अलावा त्वचा का संबंध हमारे शरीर की 72,72,10 202 नस नाड़ियों के साथ साथ हमारे धुलोक के साथ भी होता है। हमारी त्वचा पर 5 तत्वो (प्रथ्वी,अग्नि,वायु,जल,अंतिरक्ष ) का प्रभाव पूर्ण रूप से होता है । त्वचा 5 तत्वो के मिश्रण से बनती है । जहां पर त्वचा बहुत कठोर होती है जैसे एढ़ी, कोहनी ,घुटने हिप्स और कंधे इन पर प्रथ्वी तत्व का प्रभाव होता है । शरीर मे जहां पर त्वचा नरम और बहुत संबेदनशील होती है । वहाँ पर वायु तत्व और अंतिरक्ष तत्व का प्रभाव होता है। तथा जहां पर त्वचा फैलती है और सिकुड़ती है वहाँ पर जल और अग्नि तत्व का प्रभाव होता है । नाक के अगले हिस्से का संबंध प्रथ्वी तत्व से होता है क्यो कि नाक प्रथ्वी के रसों, सुगंधों और पदार्थो को सूंघने का … [ Read More ]
जीवन क्या है ? कहाँ से आता है ? और कहाँ जाता है ?
जीवन का रहश्य जानना और समझना बहुत कठिन है। अगर आप मेरे शब्दों की गति के साथ साथ धीरे धीरे अपने मन की गति को रखोगे तो जीवन का रहश्य समझ मे आ जाएगा । भगवान ने इस श्रष्टि को 4 प्रकार की योनियों से बनाया है 1-स्थावर 2- अंडज 3- उद्विज 4-जंगम । स्थावर योनि मे पेड़ पोधे, पर्वत, जल तथा बनस्पति आते है । ये सभी गति तो करते है पर इनमे मन और आत्मा का बास नहीं होता है। इन योनियों मे सिर्फ सामान्य प्राण होता है जिसके कारण ये बड़े हो जाते है तथा गति करते है । तथा प्रथ्वी से अपना भोजन चूस कर अपना आकार बड़ा का लेते है । अंडज योनि मे वो सभी कीट पतंगे और रेगने वाले जीव आते है जो प्रथ्वी लोक मे अंडा के रूप मे पेदा होते है। उद्विज योनि मे वो सभी पक्षी आते है जो आकाश … [ Read More ]
बुरे कर्मो के आधार पर मनुष्य कैसे जाता है जानवर योनि मे ? क्या है इसका प्राकृतिक वायो वैज्ञानिक आधार ?
मनुष्य का जीवन बहुत दुर्लभ है । इस श्रष्टि मे सतोगुणी , रजोगुणी और तमोगुणी तीन प्रकार की आत्मा होती है और 4 प्रकार की योनियाँ 1- स्थावर 2- अंडज 3- उद्विज 4 – जंगम होती है । इसके अलावा 5 तत्व 1- प्रथ्वी 2- वायु 3- अग्नि 4- जल 5- अंतिरिक्ष होते है और 84 लाख योनियाँ होती है । इन सभी के मिश्रण से यह दुर्लभ मनुष्य जीवन बनता है । 84 लाख योनियों मे से लगभग 80 लाख योनियों को डिशकवरी चेनल ने खोज निकाला है । मानव शरीर मे 84 लाख योनियों के स्वभाव का मिश्रण होता है । मनुष्य का स्वभाव एक जैसा शेर जैसा भी हो सकता है और गधे घोड़े और मच्छर जैसा स्वभाव भी हो सकता है । इसके अलावा मनुष्य के शरीर मे स्थावर योनि के तत्व भी पाये जाते है । जैसे लोहा , पत्थर और भिन्न भिन्न प्रकार की … [ Read More ]
शरीर त्यागने के बाद आत्मा की गति क्या होती है ? आत्मा का आकार क्या है ?
आत्मा इस प्रकृति विज्ञान के परमाणु बाद की सबसे सूक्ष्म इकाई है । आत्मा का आकार एक बाल के गोल हिस्से के 60 भाग किए जाये । उसके बाद उसके एक भाग के 99 भाग किया जाये । उसके बाद उसके एक भाग के 60 भाग किये जाये तो एक भाग के बराबर आत्मा का सूक्ष्म आकार होता है । या हम यह कह सकते है कि आत्मा का आकार एक बाल के गोल हिस्से का 3 करोड़ 52 लाख 83 हजार 600 सो वां भाग होता है । शरीर त्यागने बाद आत्मा सबसे पहले अंतिरिक्ष मे जाता है । अन्तरिक्ष मे इंद्र नाम की वायु ( सोनतती वायु , किरणपती वायु , सोममाम वायु ) मे रमण करता है । उसके बाद यम नाम की वायु ( सुभय वायु , रेधी वायु , घिरन्तति ) मे रमण करता है । इन 6 प्रकार की वायु मे रमण करने के … [ Read More ]
जो कुछ हो रहा है वो सब भगवान की मर्जी से हो रहा है तो हम पाप के भागी क्यो ?
यह मूल प्रश्न है कि इस दुनिया मे भगवान की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है और जो इस संसार मे हो रहा है वह सब भगवान की इच्छा से ही हो रहा तो इंसान पाप का भागी क्यो ? यह बात सत्य है कि हम अपने पूर्व कर्मो का फल भोगते है । जैसा कि मैं अपनी पहली पोस्ट मे बता चुका हूँ । जैसा हम कर्म करते है वो अगले जन्म मे भाग्य बनता है और जो भाग्य बनता है उसके आधार पर हम वर्तमान जन्म भोगते है । यह चक्र चलता रहता है । अब बात यह आती है कि हमारे जीवन की स्वतन्त्रता कहा है इस चक्र मे । हमारे मनुष्य जीवन को भगवान ने विवेक दिया है जो 84 लाख योनियो को नहीं दिया है वो अपने कर्म के खेल से बंधे है लेकिन मनुष्य का विवेक भाग्य और कर्म से बंधा … [ Read More ]
आखिर झूठ बोलना पाप क्यो है ? और झूठे आदमी के चेहरे मे चमक क्यो नहीं होती है ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक आधार ?
वैसे तो झूठ जीवन का आधार है पर यह झूठ जीवन का विनाश भी करती है । बिना झूठ के जीवन भी नहीं चलता है । ऋषिओ ने कहा है कि जीवन मे झूठ न बोलो यह झूठ शरीर को दीमक की तरह खा जाती है और हमे पता ही नहीं चलता है । आखिर झूठ बोलना पाप क्यो है ? पाप हमेशा दो तरीके से पैदा होता है । एक तो हम जब किसी की हाय या बददुआ लेते है तो पाप उत्पन्न होता है । उस हाय और बददुआ का नेगटिव प्रभाव आत्मा पर पड़ता है । इसलिए जब जब भी आत्मा पर नेगटिव ऊर्जा का प्रभाव पड़ेगा तो आत्मा उसको पाप मे बदल देती है । दूसरा पाप जब उत्पन्न होता है जब आप अपने शरीर मे आत्मा के विरुद्ध नकारात्मक काम करते हो तो आत्मा पाप उत्पन्न करती है । अगर आप झूठ बोलते हो , … [ Read More ]
ये धर्म क्या है ? और अधर्म क्या है ? क्या लाखो लोगो का संगठन धर्म कहलाता है ?
धर्म का मामला बहुत ही संबेदनशील है । इस विषय पर लिखना थोड़ा कठिन कार्य है । क्योकि कि यह भावना से जुड़ा होता है अगर भावना आहत हुई तो धर्म का अधर्म हो जाएगा और इस विषय पर लिखने वाला को अभद्रता का सामना करना पड़ेगा । पैदा होती हमे धर्म के बारे मे सही जानकारी न देकर धर्म की कट्टरता सिखाई जाती है । कि हम हिन्दू है , मुसलमान है , इशाई है , सिक्ख है , जैन है या बोद्ध है । और यह कट्टरता हमारे मन मे और बुद्धि मे कूट कूट कर भर दी जाती है । कि अगर कोई हमारे धर्म के खिलाफ बोलेगा या लिखेगा तो हम उसको मार देंगे काट देंगे या उपद्रव कर देंगे । और इन धर्मों के ठेकेदार संत ,महात्मा ,मोलवी ,पादरी ,भिक्षू या ग्रंथि सभी एक दूसरे धर्म की बुराई करते है । और सभी अपने धर्म … [ Read More ]
बाथ रूम हमेशा नैऋत्य कोण या पश्चिम ही बनाना चाहिए । क्यो होती है धन की हानी और क्यो रुकती है उन्नति ?
अधूरा ज्ञान हमेशा बहुत खतरनाक होता है । कई महावास्तु विशेषज्ञ बाथरूम को अग्नि कोण या वायव्य कोण मे बना देते है । और तर्क देते है कि किताबों मे लिखा है । 99/ किताबो को लेखको ने एक दूसरे की नकल करके लिखा गया है । अगर एक किताब मे गलती है तो सभी ने वही गलती की है । किसी ने उस पर सोध नहीं किया है । 84 लाख योनिया सभी आगे से खाते है और पीछे से मल विसर्जन करते है । यह एक सार्व्भोमिक सत्य है । फिर इंसान भी आगे से खाता है और पीछे से मल विसर्जन करता है । वास्तु पुरुष का सिर भी ईशान कोण मे होता है और मल विसर्जन का स्थान नैऋत्य कोण मे होता है । क्या कोई इंसान बगल से मल विसर्जन करता है ? नहीं फिर बाथ रूम अग्नि कोण मे या वायव्य कोण मे क्यो … [ Read More ]
ये धर्म क्या है ? और अधर्म क्या है ? क्या लाखो लोगो का संगठन धर्म कहलाता है ?
धर्म का मामला बहुत ही संबेदनशील है । इस विषय पर लिखना थोड़ा कठिन कार्य है । क्योकि कि यह भावना से जुड़ा होता है अगर भावना आहत हुई तो धर्म का अधर्म हो जाएगा और इस विषय पर लिखने वाला को अभद्रता का सामना करना पड़ेगा । पैदा होती हमे धर्म के बारे मे सही जानकारी न देकर धर्म की कट्टरता सिखाई जाती है । कि हम हिन्दू है , मुसलमान है , इशाई है , सिक्ख है , जैन है या बोद्ध है । और यह कट्टरता हमारे मन मे और बुद्धि मे कूट कूट कर भर दी जाती है । कि अगर कोई हमारे धर्म के खिलाफ बोलेगा या लिखेगा तो हम उसको मार देंगे काट देंगे या उपद्रव कर देंगे । और इन धर्मों के ठेकेदार संत ,महात्मा ,मोलवी ,पादरी ,भिक्षू या ग्रंथि सभी एक दूसरे धर्म की बुराई करते है । और सभी अपने धर्म … [ Read More ]
