आखिर भगवान् ने झूठ क्यों बनाई ? क्या है इसका वायो वैज्ञानिक रहस्य ?

भगवान का विज्ञान बहुत अद्भुत है । इसको जानना बहुत कठिन है । सारे संसार के सभी बिदवान झूठ न बोलने की सलाह देते है फिर वो स्वयं भी झूठ बोलते है । इसके बिना मनुष्य का गुजारा भी नहीं है । यह भोजन की भांति है जैसे बिना भोजन के जीवन नहीं चल सकता है वैसे झूठ के बिना जीवन नहीं चल सकता है । आखिर कैसे झूठ काम करता है ?

मनुष्य के शरीर मे 5 उपप्राण होते है ये 5 उपप्राण स्वचालित क्रिया मे शरीर की रक्षा करते है । इनको कमांड देने की आवश्यकता नहीं होती है । ये स्वतः ही दुर्घटना होने पर अपने आप शरीर को बचाते है । जब शरीर पर कोई अचानक आपदा आती है तो ये अपना काम शुरू कर देते है । जिसमे नाग प्राण क्रोध उत्पन्न करता है । देवव्रत उपप्राण व्यान प्राण के साथ गालियां और झूठ उत्पन्न करता है ।

जब आपके उपर कोई हमला करता है तो आपके अंदर डर और क्रोध उत्पन्न हो जाता है । ये डर और क्रोध की परिस्थित नाग प्राण के द्वारा मन के साथ संपर्क से पैदा होती है । अगर आपका मनोबल मजबूत है तो आपका नाग प्राण क्रोध मे आकर शस्त्रु पर हमला कर देता है और शरीर को शत्रु से बचा देता है । अगर आपका मनोबल कमजोर हुआ तो देवव्रत उपप्राण के साथ संपर्क स्थापित करके झूठ उत्पन्न कर देता है ।

ऐसे स्थिति मे झूठ हमे शरीर को शत्रु के आघात से बचाती है । झूठ का संबंध देवव्रत और नाग उपप्राण के साथ साथ चित , बुद्धि , मन और अहंकार के साथ संबंध होता है । जब मन मे विकृति आती है तथा जब मन इंद्रियो मे रमण करता है तो उस समय मन झूठ के ऊपर सवार होकर कार्य करता है ।

शरीर मे झूठ एक बहुत जिद्दी तत्व है जो अद्रश्य है लेकिन इसकी प्राण शक्ति बहुत मजबूत होती है । क्योकि यह प्राणो के साथ जुड़ा होता है । इसलिए झूठे आदमी से झूठ उगलवाना आसान काम नहीं होता है । इसलिए आजकल पुलिस किसी भी अपराधी से इंजेक्सन के द्वारा नार्को टेस्ट से प्राण शक्ति को कमजोर करके सच पूछा जाता है ।
लेकिन भगवान को प्राप्त करने के लिए झूठ वर्जित होती है क्योकि झूठ बोलने से शरीर मे विष पैदा होता है जिसके कारण ध्यान विधि वाधित होती है । इसलिए अष्टांग योग मे झूठ वर्जित है ।

पं. यतेन्द्र शर्मा ( ज्योतिषविद् एवं वास्तु विशेषज्ञ )

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