ऋग्वेद का सार

सनातन धर्म के 4 वेद ज्ञान के स्तंब है । आज आपको संक्षेप मे बताएँगे ऋग्वेद के बारे मे कि ऋग्वेद मे क्या क्या है । वेदों को पढ्ना आसान नहीं है । लेकिन उनका सार संक्षेप मे लिख रहा हूँ । ऋग्वेद मे 10 मण्डल 1028 सूक्त और 10521 मंत्र है । ऋग्वेद प्रकृति के पाँच महाभूत के सिधान्त पर आधारित है । ऋग्वेद की शुरुआत अग्नि पूजा के मंत्रो के साथ होती है । ऋग्वेद मे प्राकृतिक देवताओं को मान्यता दी गयी है । ऋग्वेद मे अग्नि देवता , इन्द्र देवता , वायु देवता , वरुण देवता , सविता देवता , उषा देवता , सूर्य देवता , विश्वे देवा देवता , अदिति देवता , चंद्र देवता , रुद्र देवता , पूषा देवता , आपो देवता , पर्जन्य देवता , विश्वकर्माँ देवता , सरस्वती देवता , ब्रहस्पति देवता और यम देवता का मंत्रो सहित पूरा विवरण ऋग्वेद मे है । इन सभी देवताओं के मंत्रो का विवरण भी ऋग्वेद मे है ।
इसके अलावा श्रस्ति की उत्पत्ति कैसे हुई , श्रष्टि का सिधान्त क्या है , नासदीय सूक्त , पुरुष सूक्त का पूरा विवरण ऋग्वेद मे है । जब वेद लिखे गए थे उस समय राजा के कर्तव्य क्या थे , गुरु का क्या कर्तव्य , शिष्य का कर्तव्य , स्त्री –पुरुष के कर्तव्य , विद्वानो के कर्तव्य , सेना के कर्तव्य और सेनापति के कर्तव्यो की जानकारी ऋग्वेद मे है ।
परलोक की धारणा , मोक्ष की धारणा , दान शीलता , म्रत्यु भाव , पुनर्जन्म की धारणा , विवाह संस्कार , राज व्यवस्था , पित्रों की धारणा , बुजुर्गों की सेवा , राष्ट्र का उत्थान जैसे विषयो की जानकारी ऋग्वेद मे दी गयी है ।

पंडित यतेन्द्र शर्मा, कुंडली एवं वास्तु विशेष्ाज्ञ ( ऐ1 श्री बालाजी हनुमान मंदिर रामा विहार डेल्ही 81 )