हमारे हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्म के लोगों की यह कैसी विडम्बना आ गयी है कि आज हमारा हिन्दू समाज और धर्म ही दो राहों पर आके खड़ा हो गया है । क्या हमारा हिन्दू धर्म इतना कमजोर हो गया है कि अब इसे शायद और धर्मो की आवश्यकता पड़ गयी है ? आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और ऐसा हुआ क्यों ? क्या हम खुद ही इसके सबसे बड़े जिम्मेवार हैं जो अपने ही हाथों हम अपने ही धर्म को तथाकथित अन्य धर्मो और सम्प्रदायों के हाथों में देकर इसे कमजोर कर रहे हैं । हमारा देश भारत जिसे हिंदुस्तान कहा जाता है वही आज अपने ही धर्म में पिसता चला जा रहा है । हमारे धर्म में देवी देवताओ को ही सर्वोच्च पद पर पूजा जाता है लेकिन जो हमारे हिन्दू धर्म के अनुयायी अलग अलग सम्प्रदायो जैसे कि कोई निर्मल बाबा जैसे , डेरा सच्चा सौदा वाले, कुमार स्वामी , राधे माँ , निरंकारी , राधा स्वामी जैसो के जाल में आकर अपने ही राम , कृष्ण और शिव को ही भूल बैठे हैं उनको अब कोण समझाए कि अगर हम अभी भी एक नही हुए तो वो दिन दूर नही जब हिन्दू धर्म का पतन हो जाएगा और हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को अपने धर्म के बारे में कुछ भी नहीं बता पाएंगे ।
आज हमारा हिन्दू धर्म ही है जो हर मजार , साईं के मस्जिद में जाकर माथा टेकता है और अपने ही राम और कृष्ण को भूलता जा रहा है क्या ये उचित है ? जब और धर्म के लोग सिर्फ अपने ही धर्म को पूजते है तो हम हिन्दुओ में ऐसी कोनसी आग लग गयी कि हम अपने धर्म को भूलकर दुसरे धर्मो के फ़क़ीर और मौलवियों का सहारा लेना पड़ रहा है ।
साईं कोई भगवान् नहीं है और नाही कोई अवतार । फिर भी ये सोची समझी साझिश है हम हिन्दुओ को ही आपस मेंअलग करने कि हमारा धर्म इससे और कमजोर हो जाए और दुसरे धर्म को बढ़ावा मिले ।
यही समय है हम हिन्दुओ के जागने का नहीं तो अगर देर हो गयी तो कोई कुछ नहीं कर पाएगा । अब एकजुट होकर ही अपने धर्म को बचाना ही पड़ेगा । और हम अपने ही देवी देवताओं को पूजे बजाय किसी साईं जैसे मौलवी को या निर्मल बाबा जैसे ढोंगी को ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( सनातन धर्म चिंतक एवं ज्योतिषविद् )
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