बहुत ही विचित्र बात है कि मनुष्य मरने के बाद की गति को जानना चाहता है । मोक्ष मिलेगा या नहीं । मोक्ष क्या होता है ? मरने के बाद कहाँ जाएँगे और अगला जीवन कैसा होगा ? मरने बाद स्थूल शरीर की 5 कर्मेन्द्रिओं को त्याग कर आत्मा 5 ज्ञानेन्द्रिओं 5 प्राण 5 महाभूत मन और बुद्धि 17 चीजों को साथ लेकर जब प्रथ्वी लोक को छोड़ कर आत्मलोक मे चली जाती है । और पुनर्जन्म नहीं लेती है तो उसी को मोक्ष कहते है । जैसे हमारा शरीर तीन प्रकार का होता है उसी प्रकार आत्मा भी 3 प्रकार की होती है 1-सतोगुणी 2- रजोगुणी 3- तमोगुणों । जो मनुष्य मांसाहारी, नशेड़ी शरावी होते है उनकी आत्मा को मरने बाद कभी मोक्ष नहीं मिलता है । ऐसे लोग इस प्रथ्वी लोक पर साँप, बिच्छू, कीड़े, मकोड़े, भेडिए, लक्कड्भग्गा, गिद्ध या गीदड़ का जन्म लेते है । ऐसे लोगों की आत्मा तमोगुणी होती है ऐसे आत्माओं को 13 दिन बाद ही पुनर्जन्म मिल जाता है । जो लोग शाकाहारी है, हत्या नहीं करते है, बुरा नहीं करते है, मरने के बाद उनकी आत्मा दुबारा प्रथ्वी लोक पर जन्म ले लेती है ।
ऐसे लोगो की आत्मा रजोगुणी होती है और ऐसी आत्माओं को 1 महीने मे पुनर्जन्म मिल जाता है । और जो लोग शाकाहारी तो है साथ मे सदाचारी भी है और दूसरों को कस्ट नहीं देते है वही लोग मोक्ष को प्राप्त होते है । उनकी आत्मा सतोगुणी होती है और ऐसी आत्माओं को पुनर्जन्म नहीं मिलता है । ये आत्मा जन्म के बंधन से मुक्त हो जाती है । ये आत्मा अपनी इच्छा से जन्म ले सकती है । मरने के बाद आत्मा सबसे पहले अंतिरक्ष मे 5 प्रकार के तत्वों की श्रेणिओं मे कर्म की गति के अनुसार रमण करता है । प्रथ्वी तत्व के परमाणु मे , जल तत्व मे , अग्नि तत्व मे , वायु तत्व मे और अंतिरक्ष तत्व के परमाणु मे आत्मा रमण करता है । जैसा संचित कर्म जिस जीव का होता है उसी तत्व की योनि मे पुनर्जन्म होता है । सतोगुणी आत्मा इन तत्वों मे रमण करने के बाद उर्ध्गामी हो जाती है । तथा भगवान के लोक को चली जाती है । आत्मा को मोक्ष मिलने पर 1 लाख वर्ष तक पुनर्जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती है । मोक्ष रूपी आत्मा हमे देख सकती है । लेकिन हम उनको नहीं देख सकते है । अगर हम उनको अपनी मदद के लिए पुकारेंगे तो अवश्य ही अद्रश्य होकर हमारी मदद करती है । जैसे साई बाबा , माँ वैष्णो देवी ,गुरु नानक देव , महावीर जैन , महात्मा बुध ,हनुमान जी , बाबा जाहर बीर गोगा जी महाराज ये सभी मोक्ष रूपी आत्मा मे है । ऐसी आत्मा भगवान के काम मे लग जाती है । जैसे कोई आदमी अपने गुरु के काम मे लग जाता है। अब आपको बताते है कि तीनो आत्माओं की तीव्र गति का वैज्ञानिक आधार क्या ? जैसे एक अंतिरक्ष वैज्ञानिक वायुयान मे जितना ईंधन डालता है तो वायुयान की गति तथा उसके उपर उड़ने की सीमा निर्धारित हो जाती है । वैज्ञानिक ने यान मे ईंधन इतना ही डाला कि यान सिर्फ प्रथ्वी लोक का एक ही चक्कर लगा पाये तथा बापिस प्रथ्वी पर आ जाये ।
इसी प्रकार तमोगुणी आत्मा उर्ध्गामी नहीं हो पाती है बापिस प्रथ्वी लोक पर 13 दिन बाद आ जाती है । क्यो कि आपने मांसाहार से और नशे से आत्मा का बल क्षीण कर दिया है । अगर वैज्ञानिक ने यान को इस प्रकार बनाया कि यान प्रथ्वी लोक की सीमा को पार करके अंतिरक्ष मे जाकर सोलर ऊर्जा ग्रहण करने लगे । तथा हमेशा गतिमान रहे तथा जब वैज्ञानिक चाहे तो यान प्रथ्वी पर बापिस आ जाये । तो ऐसा यान प्रथ्वी पर बापिस आ जाता है । इसी प्रकार हमारी रजोगुणी आत्मा होती है जो अतिरक्ष मे 1 महीने रमण करने के बाद बापिस प्रथ्वी लोक पर आ जाती है । अगर वैज्ञानिक ने यान को इस प्रकार बनाया है कि यान अंतिरक्ष की सीमा को भी पार करके बिना ईधन के भिन्न भिन्न ग्रहों और दूसरे लोकों से ऊर्जा ग्रहण करता हुआ गति करने लगे और वहाँ गतिबिधिओं की जानकारी देता रहे तो वही यान श्रेथ और उत्तम और सतोगुणी होता है । उसी यान को हम मिशन मंगल, मिशन बुध या मिशन शुक्र कहते है । इसी प्रकार हमारी सतोगुणी आत्मा भी मोक्ष रूप मे भिन्न लोको पर रमण करती रहती है। मित्रो हम अपनी आत्मा को इतना महान बना ले ,इतना सतोगुणी बना ले कि मरने के बाद हमारी आत्मा उर्ध्गामी होकर मिशन मोक्ष बन जाये । और हम मरने के बाद बिना किसी रुकाबट के सीदे मोक्ष मे चले जाएँ तथा भगवान के काम मे लग जाये ।
पंडित यतेन्द्र शर्मा ( श्री बालाजी हनुमान मंदिर रामा विहार डेल्ही 81 )