वेद ज्ञान कहता है कि मांसाहारी मनुष्य ज्ञानी तो हो सकता लेकिन योगी नहीं बन सकता है । आखिर इसका वैज्ञानिक कारण क्या है ?

इसके दो मुख्य कारण है पहले आध्यात्मिक और दूसरा वायो वैज्ञानिक कारण है । अष्टांग योग मे मन को नाथने के लिए की 8 पड़ाव है । जिसमे पहला यम है । अगर आप अपने स्वाद और विचारों को अपने बस मे नहीं कर सकते है तो आगे की सीडी चढ़ना असंभव है । आपका योगी बनने का पहला पड़ाव यही खत्म हो जाता है ।
दूसरा इसका वैज्ञानिक कारण है । इसको आप एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हो । जैसे पेट्रोल की दो श्रेणी होती है एक जो कार या स्कूटर मे डाला जाता है । इस पेट्रोल मे शुद्धता कम होती है जिसके कारण इसका पिक अप कम होता है । और इसका प्रयोग जमीन पर चलने वाले वाहनो पर होता है । दूसरा पेट्रोल हवाई जहाज मे डाला जाता है जो कि बहुत ज्वलनशील और हल्का होता है तथा ज्यादा शक्तिमान होता है । जोकि हवाई जहाज को ऊंची उड़ान भरने मे सक्षम होता है । अगर पेट्रोल मे डीजल मिला दिया जाये तो हवाई जहाज उड़ान नहीं भर सकता है । इसी प्रकार आप अपने खून मे जानवर का खून मिला देते हो तो आप योग की उड़ान नहीं भर सकते हो ।

इसी प्रकार मानव शरीर मे खून की भी दो श्रेणीय होती है । एक तामस और मांसाहारी खून । जो कि आपके मन को हमेशा तामस और वासना मे रत रखता है । जिसके कारण आपकी इंद्रियाँ एकाग्र नहीं हो पाती है ।
दूसरा खून आपका प्राकृतिक भोजन से और गाय के दूध से बनता है । यह खून हवाई जहाज के पेट्रोल के समान होता है जोकि बहुत ऊंची ऊंची उड़ान भरने मे सक्षम होता है । तथा बहुत अच्छी मेमोरी देता है ।
इसलिए आप ध्यान साधना और योग मे जाना चाहते हो तो शाकाहार अपनाये ।
पं. यतेन्द्र शर्मा ( Vedic & Spiritual Philosopher )